- भरतनाटयम तमिलनाडु का प्रमुख शास्त्रीय नृत्य है, जिसे ‘कर्नाटक संगीत’ के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है ।
- भरतनाटयम के तीन प्रमुख घराने हैं – तंजौर, कांचीपुरम और पण्डनलूर
- ई कृष्ण अययर तथा यामिनी कृष्ण मूर्ति भरतनाटयम के प्रमुख कलाकार हैं ।
- ‘कथकली’ केरल का प्रमुख शास्त्रीय नृत्य है ।
- कथकली की गीतों की भाषा मलयालम है।
- 1958 में हिन्दी गीतों पर पहली बार कथकली प्रस्तुत की गई थी ।
- कथकली कंच पर काले वस्त्रों का प्रयोग होता है ।
- कथक उत्तर भारत का प्रमुख शास्त्रीय नृत्य है ।
- कुचिपुडी आंध्रप्रदेश का प्रमुख शास्त्रीय नृत्य है।
- वल्लतोल नारायण मेनन, आनन्द शिवरामन, माधवन, कृष्णन कुटटी कथकली के प्रमुख कलाकार हैं ।
- ओडिसी उडीसा में प्रचलित नृत्य की प्राचीन शैली है ।
- ओडिसा नृत्य पूर्णत: ‘आराधना का नृत्य’ है ।
- सोनल मानसिंह, केलुचरण महापात्रा तथा कालीचरण पटनायक ओडिसी नृत्य के प्रमुख कलाकार हैं ।
- मोहिनीअटटम नृत्य का संबंध केरल से है ।
- यक्षगान कर्नाटका का प्रमुख लोकनृत्य है ।
- जात्रा पश्चिम बंगाल का लोकनृत्य है ।
- हरिप्रसाद चौरसिया एक प्रसिद्ध बांसुरी वादक हैं ।
- शिव कुमार शर्मा का संबंध ‘संतूर’ से है ।
- अजंता तथा ऐलोरा की गुफायें औरंगाबाद महाराष्ट्र में हैं ।
- नागर शैली उत्तर-भारत के हिमालय और विन्ध के बीच प्रचलित है ।
- भुवनेश्वर का मुक्तेश्वर मंदिर नागर शैली का उत्कृष्ट उदाहरण है ।
- कांचीपुरम तथा एलोरा का कैलाश मंदिर, तंजौर का वृहदेश्वर मंदिर, द्रविण शैली का उत्कृष्ट उदाहरण है ।
- वेसर शैली मुख्य रूप से चालुक्यों के काल में कर्नाटक में विकसित हुई अतएव इसे चालुक्य या कर्नाटक शैली भी कहते हैं ।
- कुक्कानुर का कालीश्वर मंदिर और लक्कुडी का जैन मंदिर वेसर शैली के उत्कृष्ट उदाहरण हैं ।
- उडीसा के मंदिरों में भुवनेश्वर का लिंगराज मंदिर स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण माना जाता है ।
- सल्तनत कालीन वास्तुकला का भव्य नमूना दिल्ली स्थित कुतुबमीनार है ।
एक टिप्पणी भेजें