भरतनाट्यम :- यह शास्त्रीय नृत्य तमिलनाडु का प्रमुख शास्त्रीय नृत्य है जिसका प्रतिपादन दक्षिण भारत की देवदासियों ने किया था। इस नृत्य को भरतमुनि के नाट्यशास्त्र से सम्बन्धित माना जाता है। इस नृत्य में हाथ, पैर एवं शरीर को हिलाने के 64 नियम हैं। इस नृत्य को कर्नाटक संगीत के माध्यम से एक व्यक्ति द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। भरतनाट्यम शब्द में भ का अर्थ भाव से, र का अर्थ राग से, त का अर्थ ताल और नाट्यम का अर्थ थियेटर से है। यह नृत्य पहले मन्दिर में प्रदर्शित होता था। इस नृत्य के समय मृदंगम, घटम, सारंगी, बांसुरी एवं मंजीरा का प्रयोग किया जाता है।
प्रमुख नर्तक/नर्तकी:- यामिनी कृष्णमूर्ति, मृणालिनी साराभाई, वैजयन्ती माला, लीला सैमसन, हेमा मालिनी, टी०बाला सरस्वती, रूकमणि देवी आदि।
कथकली :- यह केरल का प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्य है। यह केरल का अति परिष्कृत एवं परिभाषित नृत्य है। इस नृत्य में भाव भंगिमाओं का बहुत महत्व है। इस नृत्य के विषयों को रामायण, महाभारत एवं पौराणिक कथाओं से लिया गया है। इसमें देवताओं एवं राक्षसों से विभिन्न रूपों को दर्शाने के लिए मुखोटों का प्रयोग किया जाता है। कत्थकली का शब्दिक अर्थ है - किसी कहानी पर आधारित नाटक।
प्रमुख नर्तक/नर्तकी:- मृणालिनी साराभाई, शंकर कुरूप, शान्ताराव, उदयशंकर, आनन्द शिवरामन, कृष्णन कुट्टी, रामगोपाल, के०सी०पन्नीकर, टी०टी० राम क़ुट्टी, वल्लतोल नारायण मेनन, कृष्णन कुट्टी आदि।
कुचिपुडी :- यह आन्ध्र प्रदेश का नाट्य-नृत्य है। इसका उद्भव आन्ध्र प्रदेश के 'कुचिपुडी' नामक गांव के नाम पर ही इसका नाम पडा। इस नृत्य में लय और ताण्डव नृत्य का भी समावेश होता है। इसकी गति तेज व शैली मुक्त होती थी। यह नृत्य मुख्यत: पुरूषों द्वारा किया जाता है।
प्रमुख नर्तक/नर्तकी:- यामिनी कृष्णमूर्ति, स्वप्न सुन्दरी, राधा रेड्डी, लक्ष्मीनारायण शास्त्री, राजा रेड्डी, वेदान्तम सत्य नारायण शर्मा आदि।
ओडिसी :- यह उडीसा का प्राचीन नृत्य है। इस नृत्य में समर्पण का भाव लिए नर्तकी ईश्वरीय स्तुति करती है। इस नृत्य को भरतमुनि के नाट्यशास्त्र पर आधारित माना जाता है।
प्रमुख नर्तक/नर्तकी:- माधवी मुदगल, प्रतिमा देवी, पंकज चरण दास, काली चन्द्र, संयुक्ता पाणिग्रही, इन्द्राणि रहमान, कालीचरण पटनायक, सोनल मानसिंह, कल्याणि अम्मा आदि।
कत्थक :- यह नृत्य मुख्यत: उत्तर भारत का शास्त्रीय नृत्य है। कत्थक शब्द का उद्भव 'कथा' से हुआ है, जिसका अर्थ -कहानी। इस नृत्य शैली का उदभव एवं विकास ब्रजभूमि की रासलीला से माना जाता है। इस नृत्य में ध्रुपद, तराना, ठुमरी एवं गजले शामिल होती है।
प्रमुख नर्तक/नर्तकी:- बिरजू महाराज, गोपीकृष्ण, सितारा देवी, रोशन कुमारी, उमा शर्मा, केशव कोठारी, काजल शर्मा, अच्छन महाराज, सुखदेव महाराज, चन्द्रलेखा, भारती गुप्ता, शोभना नारायण, मालविका सरकार, दमयन्ती जोशी,जयलाल,शम्भू प्रसाद आदि।
मणिपुरी :- यह मणिपुर का प्राचीन नृत्य है। यह एक धार्मिक नृत्य है जो भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह नृत्य उत्तेजक नहीं होता है। इस नृत्य में ढोल अर्थात 'पुंग' बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस नृत्य शैली में राधा-कृष्ण की रासलीलाओं का आयोजन किया जाता है।
प्रमुख नर्तक/नर्तकी:- झावेरी बहने, कलावती देवी, बिम्बावती देवी, निर्मला मेहता, रीता देवी, थाम्बल यामा, शान्तिवर्धन, गुरू बिपिन सिंह, सविता मेहता आदि।
मोहिनी अट्टम :- यह नृत्य केरल का शास्त्रीय नृत्य है जो देवदासी परम्परा पर आधारित एकल नृत्य शैली है। इस नृत्य का प्रथम उल्लेख 16वीं शदी के माजहामंगलम नारायण नम्बूदरी द्वारा रचित 'व्यवहारमाला' में प्राप्त होता है। मोहिनी का अर्थ 'मोहित करने से' है। मोहिनी अट्टम एवं भरतनाट्यम का उदभाव एक ही है किन्तु इनमें कई भेद हैं। मोहिनीअट्टम श्रृंगार प्रधान है जबकि भरतनाट्यम भक्ति प्रधान है।
प्रमुख नर्तक/नर्तकी:- श्रीदेवी, कल्याणि अम्मा, रागिनी देवी, सेशन मजूमदार, तंकमणि, तारा निडुगाडी, भारती शिवाजी आदि।
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