भारत के गवर्नर-जनरल एवं उनके कार्यकाल की प्रमुख महत्वपूर्ण घटनायें
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गवर्नर जनरल
1. वारेन हेस्टिंग्स (1773-1785)
- 1773 का रेग्यूलेटिंग एक्ट
- 1781 का अधिनियम : इस अधिनियम द्वारा गवर्नर जनरल तथा उसकी काउंसिल एवं कलकत्ता उच्च न्यायालय के मध्य शक्तियों का कार्यक्षेत्र स्पष्ट रूप से विभाजित कर दिया गया।
- 1784 का पिट्स इंडिया एक्ट
- 1774 का रोहिल्ला युद्ध
- 1775-82 का प्रथम मराठा युद्ध तथा 1782 में सालाबाई की संधि
- 1780-84 का द्वितीय मैसूर युद्ध
- बनारस के राजा चैत सिंह के साथ विवादास्पद संबंध, नंदकुमार को फांसी, अवध की बेगमों से ज्यादती, इनके कारण हेस्टिंग्स पर इंग्लैण्ड वापस लौटने पर महाभियोग चलाया गया।
- 1784 में एशियाटिक सोसायटी आफ बंगाल की नीव
- बंगाल में द्वैध शासन की समाप्ति
- कलकत्ता में सदर दीवानी और एक सदर निजामत अदालत की स्थापना।
- कलकत्ता को बंगाल की राजधानी घोषित किया।
2. लार्ड कार्नवालिस (1786-1793)
- तृतीय मैसूर युद्ध (1790-92) तथा श्रीरंगपट्टम की संधि (1792)
- कार्नवालिस कोड का निर्माण (1793) : जिसमें अनेक सुधारों का उल्लेख था, सामान्य प्रशासन का राजस्व प्रशासन से पृथक्करण
- बंगाल का स्थायी बन्दोबस्त (1793)
- प्रशासन का यूरोपीकरण तथा सिविल सेवायें प्रारंभ
- कम्पनी के कर्मचारियों के निजी व्यापार पा रोक
- 1805 में गाजीपुर में मृत्यु
- 1793 का चार्टर अधिनियम
- निजाम एवं मराठों के बीच खर्दा की लडाई (1795)
- अवध के उत्तराधिकारी विवाद में हस्तक्षेप
- इलाहाबाद का कम्पनी के साम्राज्य में विलय
- सहायक संधि की नीति प्रारम्भ की (1798) - सबसे पहले यह संधि हैदराबाद के निजाम से
- चतुर्थ मैसूर युद्ध (1799)
- द्वितीय मराठा युद्ध (1803-05)
- तंजौर (1799), सूरत (1800) एवं कर्नाटक (1801) का प्रशासन अपने हाथों में ले लिया।
- बसीन की संधि ( 1802)
- रियासतों में हस्तक्षेप की नीति का समर्थक
- वैलोर का सिपाही विद्रोह (1806)
- लार्ड मिन्टो, प्रथम- (1807-1813)
- रणजीत सिंह के साथ अमृतसर की संधि (1809)
- अंग्रेजों-नेपाल युद्ध (1814-16) तथा संगौली की संधि (1816)
- तृतीय मराठा युद्ध (1817-19) तथा मराठा परिसंघ का कम्पनी के साम्राज्य में विलय, बम्बई प्रेजीडेन्सी की स्थापना (1818)
- पिण्डारियों का दमन (1817-18)
- सिंधियों के साथ संधि (1817)
- मद्रास के गवर्नर टामस मुनरो द्वारा रैयतवाडी बंदोबस्त लागू किया गया (1820)
- प्रथम बर्मा युद्ध (1824-26)
- भरतपुर का अधिग्रहण (1826)
- सती प्रथा पर रोक (1829)
- ठगी प्रथा का अंत (1830)
- 1833 का चार्टर अधिनियम
- 1835 का शिक्षा संबंधी प्रस्ताव, शिक्षा सुधार तथा बंग्रेजी भाषा को शिक्षा का माध्यम बनाये जाने की घोषणा
- मैसूर (1831), दुर्ग (1834) एवं मध्य कछार (1834) का कम्पनी साम्राज्य में विलय।
- रणजीत सिंह के साथ 'निरंतर मित्रता' की संधि।
- लार्ड कार्नवालिस द्वारा स्थापित प्रांतीय अपीलीय एवं भ्रमणकारी न्यायालयों की समाप्ति, राजस्व आयुक्तों की नियुक्ति
- 1835 में प्रेस एक्ट पारित हुआ, जिसके द्वारा समाचार पत्रों पर लगाई गई पाबंदियों को हटा लिया गया।
10. लार्ड ऑकलैण्ड (1836-1842)
- प्रथम अफगान युद्ध (1838-42)
- रणजीत सिंह की मृत्यु (1839)
- लार्ड एलनबरो (1842-1844)
- सिन्ध का विलय (1843)
- ग्वालियर के साथ युद्ध (1843)
- प्रथम अंग्रेज सिख युद्ध (1846) एवं लाहौर की संधि (1846)
- सामाजिक सुधार- बालिका हत्या तथा नरबलि प्रथा पर रोक
- द्वितीय अंग्रेज-सिख युद्ध (1848-49) तथा पंजाब का कम्पनी साम्राज्य में विलय (1849)
- व्यपगत के सिद्धांत का शुभारम्भ - जिसके अन्तर्गत सतारा (1848), जैतपुर एवं संभलपुर (1849), उदयपुर (1852), झांसी (1853), नागपुर (1854) तथा अवध (1856) का कम्पनी साम्राज्य में विलय
- वुड का शिक्षा संबंधी डिस्पैच (1854) तथा स्थानीय भाषा के स्कूलों तथा सरकारी कॉलेजों की स्थापना
- 1853 में बम्बई एवं थाणे के मध्य प्रथम रेल चली, दूसरी 1854 में कलकत्ता एवं रानीगंज के मध्य
- टेलीग्राफ एवं डाक सुधार-40 हजार मील लम्बी टेलीग्राफ लाईन द्वारा कलकत्ता, बंबई, मद्रास एवं पेशावर को आपस में जोडा तथा 2 पैसे के शुल्क पर राष्ट्रीय डाक सेवा प्रारम्भ की।
- गंगा नहर को खोल दिया गया (1854)
- प्रत्येक प्रान्त में 'लोक निर्माण विभाग' की स्थापना।
- विधवा पुर्नविवाह अधिनियम (1856)
- पेशवा के पेंशन की समाप्ति (1853)
- 1857 में कलकत्ता, मद्रास एवं बम्बई में तीन नये विश्वविद्यालयों की स्थापना।
- 1857 का विद्रोह
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