हिन्‍दी साहित्‍यकार महादेवी वर्मा का जीवन परिचय | Mahadevi Verma Biography in Hindi


महादेवी वर्मा 

हिंदी साहित्य के छायावादी युग के साहित्यकारों में महादेवी वर्मा का स्थान अविस्मरणीय हैं. उनकी वेदना भरी कविताओं के कारण उन्हें ‘आधुनिक युग की मीरा‘ कहा जाता हैं. कवि सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ ने उन्हें “हिंदी के विशाल मन्दिर की सरस्वती” भी कहा हैं. महादेवी वर्मा हिन्दी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक मानी जाती हैं. अन्य तीन कवियों के नाम इस प्रकार हैं – जयशंकर प्रसाद ( Jaishankar Prasad ), सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ( Suryakant Tripathi ‘Nirala’ ) और सुमित्रानन्दन पन्त ( Sumitranandan Pant ).

महादेेेेवी वर्मा का जन्‍म 26 मार्च, 1907 ई० को फर्रूखाबाद, उत्‍तर प्रदेश में हुआ था। इनकी माता का नाम हेमरानी तथा पिता का नाम गोविन्द सहाय वर्मा था. इनकी मृत्यु 11 सितम्बर, 1987 को प्रयागराज में हुई।

पुरस्कार:-

  • महादेवी वर्मा को वर्ष 1956 में पदम भूषण से सम्मानित किया गया।
  • महादेवी वर्मा के काव्य संग्रह ‘यामा’ के लिए इन्हें 1982 में ‘भारतीय ज्ञानपीठ‘ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • 1988 में महादेवी जी के मरणोपरान्त भारत सरकार ने उन्हें ‘पद्म विभूषण’ पुरस्कार से सम्मानित किया।
  • 1991 में सरकार ने उनके सम्मान में कवि जयशंकर प्रसाद के साथ उनका एक 2 रूपये का युगल टिकट भी चलाया गया था।

महादेवी वर्मा जी की प्रमुख रचनाएँ और उनकी कृतियाँ इस प्रकार हैं.

  • कविता संग्रह - नीहार (1930), रश्मि (1932), नीरजा (1934), सांध्यगीत (1936), दीपशिखा (1942), यामा (1936), प्रथम आयाम, अग्निरेखा, सप्तपर्णा।
  • कविता - मधुर-मधुर मेरे दीपक जल।
  • बाल कविता - ठाकुर जी भोले हैं, आज खरीदेंगे हम ज्वाला।
  • रेखाचित्र/संस्मरण - अतीत के चलचित्र, स्मृति की रेखाएँ, भक्तिन, पथ के साथी, मेरा परिवार, नीलकंठ, स्मारिका।
  • निबंध - श्रृंखला की कड़ियां (1942), आपदा, भारतीय संस्कृति के स्वर, विवेचनात्मक, संकल्पिता, साहित्यकार की आस्था।
  • ललित निबंध - चिंतन के क्षण, संधिनी, क्षणदा
  • कहानी - गिल्लू
  • गीत - जाग तुझको दूर जाना, सब आंखों के आँसू उजले।
  • संस्मरण - मेरे बचपन के दिन

महादेवी वर्मा से सम्बन्धित महत्वपूर्ण तथ्य:-

  • ‘चाँद‘ नामक महिला पत्रिका का संपादन किया है।
  • आधुनिक युग की मीरा के नाम से जाना जाता है।
  • छायावद के चार स्तम्भों में से एक हैं।
  • कवि निराला ने इन्हें ‘हिन्दी के विशाल मन्दिर की सरस्वती’ कहा है।
  • 1952 में यह उत्तर प्रदेश विधान परिषद की सदस्य मनोनित हुई।
  • ‘नीहार‘ इनका प्रथम काव्य संग्रह है।

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