मंगलेश डबराल का जन्म सन् 1948 में टिहरी गढवाल (उत्तराखण्ड) के काफलपानी गांव में हुआ था। अपनी शिक्षा दीक्षा के उपरान्त ये दिल्ली आकर हिंदी पेट्रियट, प्रतिपक्ष और आसपास में काम करने के बाद भोपाल में भारत भवन से प्रकाशित होने वाले पूर्वग्रह में सहायक सम्पादक हुए। वर्ष 1983 में जनसत्ता अखबार में साहित्य संपादक का पद संभाला। इनकी मृत्यु 09 दिसम्बर, 2020 को दिल्ली में हई।
मंगलेश डबराल | |
जन्म | 16 मई, 1948 काफलपानी, टिहरी गढवाल |
मृत्यु | 09 दिसम्बर, 2020, दिल्ली |
पुरस्कार/सम्मान | वर्ष 2000 में साहित्य अकादमी पुरस्कार 'हम जो देखते हैं' |
मंगलेश डबराल की महत्वपूर्ण रचनाएं
कविता संग्रह - पहाड पर लालटेन, घर का रास्ता, हम जो देखते हैं, आवाज भी एक जगह है, मुझे दिखा एक मनुष्य, कवि ने कहा, अत्याचारियों की थकान, अत्याचारी के प्रमाण।
कविताएं - संगतकार, तानाशाह, पिता का चश्मा, पहाड से मैदान, समय नहीं है, गुलामी, अंतराल, केशव अनुरागी, पत्तों की मृत्यु, बच्चों के लिए एक चिट्ठी, घर शांत है, खोई हुई चीज, गुमशुदा, चांद की कविता, बारिश, मैं चाहता हूँ, हत्यारों का घोषणापत्र, सोत-जागते, सुबह की नींद, टार्च, मोबाईल।
यात्रा वृतांत - एक बार अयोध्या।
गद्य संग्रह - लेखक की रोटी, कवि का अकेलापन।
क्षणिकाएं - नए युग में शत्रु, आदिवासी, परछाई, घटती हुई ऑक्सीजन, नुकीली चीजें, प्रतिकार, ठगे जाने में संतोष।
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आपके ज्ञान के लिए
सरगम - संगीत के लिए सात स्वर तय किए गये हैं। वे हैं - षडज, ऋषभ, गांधार, मध्यम, पंचम्, धैतव और निषाद। इन्हीं नामों के पहले अक्षर लेकर इन्हें सा, रे, ग, म, प, ध, और नि कहा गया है।
सप्तक - सप्तक का अर्थ है सात का समूह। सात शुद्ध स्वर हैं इसलिए यह नाम पडा। लेकिन ध्वनि की ऊँचाई और निचाई के आधार पर संगीत में तीन तरह के सप्तक माने गए हैं। यदि साधारण ध्वनि है तो उसे 'मध्य सप्तक' कहेंगे और ध्वनि मध्य सप्तक से ऊपर है तो उसे 'तार सप्तक' कहेंगे तथा ध्वनि मध्य सप्तक से नीचे है तो उसे 'मंद्र सप्तक' कहते हैं।
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